बोलो बोलो सब मिल बोलो ओम नमः शिवाय बोलो बोलो सब मिल बोलो ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय || जूट जाटा मे गंगाधारी, त्रिशूल धारी डमरू बजावे, डम डम डम डम डमरू बजावे, गूंज उठाओ, ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय , हरी ओम नमः शिवाय || बोलो बोलो सब मिल बोलो ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय || श्रीरामचंद्र कृपालु भजु मन श्रीरामचंद्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं, नवकंज लोचन, कंजमुख कर, कंज पद कंजारुणं|| कंदर्प अगणित अमित छवि नव नील नीरज सुन्दरम, पट पीत मानहु तडित रूचि-शुची नौमी जनक सुतावरं|| भजु दीनबंधु दिनेश दानव दैत्य वंष निकन्दनं, रघुनंद आनंद कंद कोशल चन्द्र दशरथ नंदनम|| सिर मुकुट कुंडल तिलक चारू उदारु अंग विभुशनम, आजानुभुज शर चाप-धर, संग्राम-जित-खर दूषणं|| इति वदति तुलसीदास, शंकर शेष मुनि-मन-रंजनं, मम ह्रदय कंज निवास कुरु, कामादि खल-दल-गंजनं|| एही भांति गोरी असीस सुनी सिय सहित हिं हरषीं अली, तुलसी भावानिः पूजी पुनि-पुनि मुदित मन मंदिर चली|| जानी गौरी अनूकोल, सिया हिय हिं हरषीं अली, मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे|| थाली भर के ल्याई रे खीचड़ो थाली भर के ल्याई रे खीचड़ो , ऊपर घी की बाटकी , जीमो म्हारा श्याम धणि , जिमावें बेटी जाटकी दादो म्हारो गांव गयो है , न जाने कद आवेलो ऊके भरोसे भेडयो र्रेह्यो तो , भूको ही रह जावेलो , आज जिमाऊ तने रे खीचड़ो , घाल राबड़ी छाछ की , जीमो म्हारा श्याम धणी , जिमावे बेटी जाटकी जिमावे बेटी जाटकी थाली भर के ………….. बार-बार मंदिर ने जुड़ती , बार-बार मैं खोलती , कैयां कोणी जीमे रे मोहन , करडी-करडी बोलती , तू जीमें जद मैं भी जीमू , मानू न कोई लाट की जीमो म्हारा श्याम धणी , जिमावे बेटी जाटकी जिमावै बेटी जाटकी थाली भर के ………….. पर्दो भूल गई सावरिया , पर्दो फेर लगायो जी , धाबलिया के ओले बैठ कर , खीचड़ो खायो जी भोला भाला भक्ता से रे , सावरिया किया आटकी जीमो म्हारा श्याम धणी , जिमावे बेटी जाटकी जिमावे बेटी जाटकी थाली भर के ………….. भक्ति होय तो क्रमा जैसी , सवारियो घर आवेलो सोहनलाल लुहाकार प्रभु का हर्ष-हर्ष गुण गावेलौ साचो प्रेम प्रभुसे हो तो , मूरत बोले काठ की जीमो म्हारा धनि श्याम धणी , जिमावे बेटी जाटकी जिमावे बेटी जाटकी थाली भर के ल्याई रे खीचड़ो , ऊपर घी की बाटकी , जीमो म्हारा श्याम धणि , जिमावें बेटी जाटकी जिमावे बेटी जाटक |
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी वल्लभं || -2 कौन कहता है भगवान आते नहीं, तुम मीरा के जैसे बुलाते नहीं | अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी वल्लभं | कौन कहता है भगवान खाते नहीं, बेर शबरी के जैसे खिलते नहीं | अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी वल्लभं || कौन कहता है भगवान सोते नहीं, माँ यशोदा के जैसे सुलाते नहीं | अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी वल्लभं || कौन कहता है भगवान नचाते नहीं, गोपियों की तरह तुम नाचते नहीं | अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी वल्लभं || अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी वल्लभं || साँवरियो है सेठ साँवरियो है सेठ साँवरियो है सेठ म्हारी, राधा जी सेठानी है ये तो सारी दुनिया जानी है || राजाओ के राजा महारानी की रानी , सर मोरे मुकुट ताज है ओ, दरबार निराला हर बात निराली, सारे जग में राज है ओ, सोने पल में सेठ, सोने पल में सेठ, सोने पल में सेठानी है || साँवरियो है सेठ,…………. साँवरियो राधा जी रखे भक्ता ने राजी, करे घणो लाड ओ, भण्डार लूटा दे, हर बात बड़ा दे, भक्ता नो ठाठ है ओ, देवे छप्पर पहाड़, देवे छप्पर पहाड़, कही इनसो कोई दानी है || साँवरियो है सेठ…………. सुख दुःख में राधा जी, सुख दुःख में साँवरियो, सदा मेरे साथ है ओ, हर चिंता दूर करे, मेरी पीड़ा दूर करे, रख लेवे मेरी बात ओ, भक्ता रो तो काम, भक्ता रो तो काम, बस एक हाज़री लगानी है || साँवरियो है सेठ,………… भला किसी का कर न सको भला किसी का कर न सको, तो बुरा किसी का मत करना | पुष्प नहीं बन सकते तो तुम, कांटे बन कर मत रहना || बन न सको भगवन अगर तुम, कम से कम इंसान बनो | नहीं कभी शैतान बनो, नहीं कभी हैवान बनो | सदाचार अपना न सको तो, पापो में पग मत धरना || सत्य वचन न बोल सको तो, झूठ कभी भी मत बोलो | मौन रहो तो ही अच्छा, कम से कम विष तो मत घोलो | बोलो यदि पहले तुम तोलो, फिर मुँह को खोला करना || घर न किसी का बसा सको तो, झोपड़िया न जला देना | मरहम पट्टी कर न सको तो, खारा नमक न लगा देना | दीपक बन कर जल न सको तो, अँधियारा भी मत करना || पुष्प नहीं बन … पुष्प नहीं बन … पुष्प नहीं बन … अमृत पिला सको न किसी को, जहर पिलाते भी डरना | धीरज बंधा नहीं सकते तो, घाव किसी के मत करना | राम नाम की माला लेकर, सुबह शाम भजन करना || पुष्प नहीं बन … आओ भोग लगाओ मेरे मोहन- aao bhog lagao mere mohan
दुर्योदन की मेवा तयादी,
साद विधुर घर खाओ मेरे मोहन, आओ भोग लगाओ………..सबर के बेर सुधामा के कंदुल, प्रेम से भोग लगाओ मेरे मोहन, आओ भोग लगाओ…………………वृदावन की कुञ्ज गली मे, आओं रास रचाओ मेरे मोहन, आओ भोग लगाओ…….राधा और मीरा भी बोले, मन मंदिर में आओ मेरे मोहन, आओ भोग लगाओ……..गिरी शुवारा किशमिश मेवा, माखन मिश्री खाओ मेरे मोहन, आओ भोग लगाओ……. सत युग त्रेता दवापर कलयुग, |